शिमला, 20 जुलाई। हिमाचल प्रदेश में मानसून का कहर और तेज होने वाला है। मौसम विभाग ने अगले तीन दिन के लिए जिला स्तर पर भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। इससे प्रदेश के कई हिस्से संवेदनशील हो गए हैं। सबसे बड़ा खतरा अगले 24 घण्टे यानी 21 जुलाई को 7 जिलों ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, सोलन, मंडी और सिरमौर जिलों में कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना है। इसको देखते हुए इन जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। विभाग ने चेतावनी दी है कि इस दौरान तेज़ गरज-बरसात और बिजली गिरने की घटनाएं भी हो सकती हैं, जिससे जनजीवन पर बड़ा असर पड़ सकता है।
इसी दिन चंबा, कुल्लू और शिमला जिलों में भी भारी वर्षा के आसार हैं और इन जिलों में येलो अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विभाग के अनुसार पूरे प्रदेश में मानसून की सक्रियता बढ़ी है और अगले कुछ दिनों तक बारिश की रफ्तार और तेज हो सकती है।
मौसम विभाग ने 22 जुलाई को भी सिरमौर और सोलन जिलों में कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश की संभावना जताई है और इसके लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। इसके साथ ही ऊना, बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा, मंडी, कुल्लू और शिमला जिलों में भारी बारिश के आसार हैं और इन जिलों में येलो अलर्ट लागू रहेगा। लगातार हो रही बारिश से पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन और नदियों-नालों में पानी बढ़ने का खतरा भी बना हुआ है।
23 जुलाई को भी राहत की उम्मीद नहीं है। ऊना और बिलासपुर जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट फिर से लागू किया गया है। वहीं हमीरपुर, मंडी और सोलन जिलों में भी कुछ स्थानों पर भारी बारिश की चेतावनी के तहत येलो अलर्ट रहेगा। विभाग ने कहा है कि इस दौरान बिजली गिरने की भी आशंका है जो जान-माल के लिए खतरा बन सकती है। विभाग ने लोगों से अपील की है कि इस दौरान सुरक्षित स्थानों पर रहें और अनावश्यक यात्रा से बचें।
मौसम विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक बीते 24 घण्टों में मंडी जिला के मुरारी देवी में सर्वाधिक 58 मिमी वर्षा हुई है। इसके अलावा बिलासपुर जिले के सलापड में 22, हमीरपुर में 18, कांगड़ा में 13, जोगिन्दरनगर में 11, बिलासपुर व नंगल डैम में 10-10 और जुब्बड़हट्टी में 9 मिमी वर्षा रिकार्ड हुई है।
पिछले दिनों हुई भारी बारिश से जनजीवन अभी भी अस्त-व्यस्त है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार प्रदेश में भूस्खलन से इस समय 146 सड़कें बंद पड़ी हैं। इसके अलावा 28 बिजली ट्रांसफार्मर और 58 पेयजल योजनाएं भी ठप हो गई हैं। सबसे ज्यादा प्रभावित मंडी जिला है, जहां 94 सड़कें, 26 ट्रांसफार्मर और 40 पेयजल योजनाएं ठप हैं।
मानसून सीजन के दौरान अब तक बादल फटने की 22 घटनाएं, अचानक बाढ़ की 34 घटनाएं और भूस्खलन की 21 घटनाएं हो चुकी हैं। राज्य को इन घटनाओं से अब तक करीब 1234 करोड़ का नुकसान हो चुका है। इसमें सबसे ज्यादा नुकसान लोक निर्माण विभाग को हुआ है, जिसे 552 करोड़ की क्षति हुई है, जबकि जल शक्ति विभाग को 442 करोड़ का नुकसान हुआ है।
20 जून से अब तक प्रदेश में बारिश से जुड़ी घटनाओं में 119 लोगों की मौत हो चुकी है, 215 घायल हुए हैं और 34 अब भी लापता हैं। मंडी जिले में सबसे ज्यादा 21 मौतें हुई हैं और 27 लापता हैं। इसके अलावा कांगड़ा में 19, कुल्लू में 15, चंबा में 10, ऊना, सोलन और हमीरपुर में 9-9, शिमला और बिलासपुर में 8-8 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है।
भूस्खलन, बाढ़ और बादल फटने से 377 घर, 264 दुकानें और 945 गौशालाएं पूरी तरह नष्ट हो चुकी हैं, जबकि 733 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। मंडी ज़िले में सबसे ज्यादा तबाही हुई है, जहां 350 घर, 241 दुकानें और 767 गौशालाएं पूरी तरह तबाह हो चुकी हैं, और 560 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। इसके अलावा अब तक 21,500 पोल्ट्री पक्षी और 1288 पालतू पशु भी मारे जा चुके हैं।