शिमला, 19 जुलाई। हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने सरकारी विभागों, बोर्डों और निगमों में ग्रुप-ए, बी और सी के पदों पर भर्ती के लिए नई योजना लागू कर दी है। इसके तहत अब सीधी भर्ती से चयनित उम्मीदवारों को पहले दो साल तक ‘जॉब ट्रेनी’ के रूप में तय मासिक राशि पर काम करना होगा। इस दौरान वे नियमित सरकारी कर्मचारी नहीं माने जाएंगे और उन्हें पेंशन, छुट्टी या अन्य भत्तों जैसी सुविधाएं नहीं मिलेंगी।
कार्मिक विभाग की शनिवार को जारी अधिसूचना के मुताबिक इस योजना का उद्देश्य नई भर्ती में पारदर्शिता बढ़ाना, जवाबदेही लाना और प्रशासन को अधिक प्रभावी बनाना है। चयनित अभ्यर्थियों को सेवा में आने से पहले रोल-विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा और दो साल पूरे होने के बाद दक्षता परीक्षा पास करने पर ही नियमित नियुक्ति दी जाएगी।
खास बात ये है कि जॉब ट्रेनी को हिमकेयर और आयुष्मान भारत जैसी स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ मिलेगा, लेकिन सरकारी सेवा में लागू सीसीएस, पेंशन, अवकाश नियम जैसे प्रावधान उन पर लागू नहीं होंगे। यात्रा पर जाने पर वे न्यूनतम वेतनमान वाले कर्मचारी के बराबर टीए-डीए पाने के हकदार होंगे।
जॉब ट्रेनी को एक महीने की सेवा के बाद एक दिन की कैजुअल लीव, साल में 10 दिन की मेडिकल लीव और 5 दिन की स्पेशल लीव भी मिलेगी। महिला ट्रेनी को दो जीवित बच्चों तक 180 दिन की मातृत्व अवकाश और गर्भपात की स्थिति में 45 दिन की विशेष छुट्टी भी मिलेगी।
नई भर्ती पूरी तरह से राज्य लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग या सरकार द्वारा अधिकृत एजेंसी के माध्यम से की जाएगी और आरक्षण नीति का पालन अनिवार्य रहेगा। विभागों और संस्थाओं को जॉब ट्रेनी की नियुक्ति से पहले वित्त विभाग की मंजूरी लेनी होगी।
हालांकि कुछ पद इस योजना से बाहर रखे गए हैं। इनमें हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा परीक्षा पास करने वाले अधिकारी, सिविल जज, मेडिकल कॉलेजों के प्रोफेसर, नायब तहसीलदार, एसीएफ, एचपीएफ एंड एएस के सेक्शन ऑफिसर, सहायक राज्य कर एवं आबकारी अधिकारी और पुलिस कांस्टेबल शामिल हैं।
राज्य सरकार का मानना है कि इस कदम से नई पीढ़ी के कर्मचारियों में पेशेवर सोच विकसित होगी, प्रशासनिक व्यवस्था मजबूत होगी और जनता को बेहतर सेवाएं मिलेंगी।