शिमला, 20 जुलाई। हिमाचल प्रदेश सरकार ने बीते ढाई वर्षों में राजस्व मामलों को पारदर्शी, त्वरित और जनता के लिए सरल बनाने की दिशा में ऐतिहासिक पहल की है। प्रदेश के 90 प्रतिशत गांवों के नक्शे अब भू-नक्शा पोर्टल पर अपलोड हो चुके हैं, जिससे लोगों को जमीन से जुड़े नक्शों की जानकारी आसानी से ऑनलाइन मिल रही है। साथ ही प्रदेश के 71 प्रतिशत खातों को आधार नंबर से जोड़ा जा चुका है, जबकि 30 प्रतिशत भूमि मालिकों की आधार सीडिंग भी पूरी कर ली गई है। इससे राजस्व व्यवस्था पहले से कहीं अधिक पारदर्शी और सुलभ हो गई है।
प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार राजस्व विभाग ने डिजिटलीकरण और तकनीक के व्यापक इस्तेमाल पर विशेष बल दिया है। इसके तहत अक्टूबर 2023 से जून 2025 तक विभाग ने 3,33,892 इंतकाल, 20,369 तकसीम और 36,164 निशानदेही के मामलों का निपटारा किया है। इसके अलावा 9,435 मामलों में राजस्व रिकॉर्ड की दरुस्ती की गई है, जिससे हजारों भूमि मालिकों को सीधी राहत मिली है।
लंबित मामलों के त्वरित निपटारे के लिए प्रदेश सरकार ने हिमाचल प्रदेश भू-राजस्व अधिनियम, 1954 में संशोधन किया है, जिससे सक्षम अधिकारी अब ई-समन जारी कर सकेंगे। ये समन ई-मेल या व्हाट्सएप के जरिए भेजे जाएंगे, जिससे प्रक्रिया तेज़ होगी और निपटारे में देरी नहीं होगी। इसके अलावा प्रदेश में पेपरलेस रजिस्ट्री प्रणाली ‘माय डीड’ भी लागू की गई है, जिसके तहत लोग ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदक को केवल एक बार निर्धारित समय पर कार्यालय जाना होगा और उसी दिन उनका कार्य पूरा हो जाएगा। इससे लोगों को बार-बार तहसील कार्यालय के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे।
प्रवक्ता ने कहा कि राजस्व विभाग ने जमाबंदी के हिंदी फार्मेट को भी सरल बनाया है, जिसमें परंपरागत उर्दू और फारसी शब्दों को हटाया गया है ताकि आम जनता इसे सहजता से समझ सके। इसके अलावा ई-रोजनामचा की शुरुआत से पटवारी अब रोजमर्रा की गतिविधियों का रिकॉर्ड डिजिटल रूप में रख पाएंगे, जिससे तहसीलदार भी बेहतर निगरानी कर सकेंगे। राजस्व विभाग डिजिटल हस्ताक्षरयुक्त जमाबंदी मॉड्यूल पर भी काम कर रहा है, जिससे ‘फरद’ लेने के लिए पटवारखाने के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। साथ ही ऑनलाइन इंतकाल मॉड्यूल तैयार करने की भी योजना है, जिससे इंतकाल की रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया तेज़ होगी और सीधे जमाबंदी से जोड़ी जा सकेगी।
प्रवक्ता ने कहा कि इन डिजिटल पहलों से जनता को सरकारी दफ्तरों के बार-बार चक्कर लगाने से मुक्ति मिलेगी और राजस्व मामलों का त्वरित निपटारा होगा। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में प्रदेश सरकार की यह ऐतिहासिक पहल हिमाचल को पारदर्शी और आधुनिक राजस्व व्यवस्था की दिशा में तेजी से आगे ले जा रही है, जिससे प्रदेश के लाखों भूमि मालिकों और नागरिकों को प्रत्यक्ष लाभ मिल रहा है।