शिमला, 12 दिसंबर। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया है कि दो साल के कार्यकाल के जश्न मनाने में प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने 25 करोड़ रुपए से ज्यादा फूंक दिए। लेकिन बताने के लिए एक भी उपलब्धि सरकार के पास नहीं थी। दो साल का कार्यकाल सरकार की नाकामियों का दस्तावेज है।
जयराम ठाकुर ने गुरूवार को पत्रकार वार्ता में कहा कि प्रदेश सरकार ने दो साल के कार्यकाल का जनाजा बिलासपुर में निकाला और इस पर पूरा प्रदेश हंस रहा है। प्रदेश सरकार ने कर्मचारियों को वेतन व पेंशन नहीं मिल रही है और आउटसोर्स कर्मचारी को चार महीने से वेतन नहीं मिला है लेकिन सरकार द्वारा 25 करोड़ रुपए जश्न मनाने पर खर्च कर दिए गए।
जयराम ठाकुर ने कहा कि कार्यक्रम के दौरान केवल राजनीतिक बयानबाजी होती रही और भाषण को लेकर भी नेताओं में होड़ नजर आई। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को तो बोलने से ही रोक दिया और उनका अपमान किया। जयराम ठाकुर ने कहा कि सारी नोटिफिकेशन सरकार की ओर से जारी की गई थी जिसके चलते हिमाचल की पूरे देश में बदनामी हुई। सरकार घोटालों में मस्त है और मित्रों पर मेहरबान हैं। भाजपा ने जो आरोप लगाए हैं उसकी सरकार को जांच करानी चाहिए।
जयराम ठाकुर ने मुकेश अग्निहोत्री पर पलटवार करते हुए नैतिकता के आधार पर मुकेश अग्निहोत्री से इस्तीफा देने की मांग की है। साथ ही कार्यक्रम के दौरान उनके भाषण को कुंठा से ग्रस्त करार दिया है। जयराम ठाकुर ने कहा कि अगर उन में जरा भी नैतिकता बाकी है तो उन्हें आज ही इस्तीफा दे देना चाहिए। जयराम ठाकुर ने कहा कि उप मुख्यमंत्री संतुलन खो बैठे हैं और लंबरदार वाली उनकी बात उन पर ही ज्यादा फिट बैठती है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर है, प्रदेश स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक नेताओं में अपने आप को साबित करने की होड़ मची हुई है। कल जो मंच पर हुआ उसे पूरे प्रदेश ने देखा। एक महिला जो पार्टी की प्रदेश अध्यक्ष हैं उन्हें बोलने से रोका गया, उन्हें रोकने की वजह यही रही होगी कि कहीं वह सरकार का स्वयं ही भंडाफोड़ न कर दें। इसलिए उन्हें मंच पर ही अपना भाषण समाप्त करने के लिए पर्ची थमा दी गई। सरकार में लोगों के बोलने पर भी पहरा लगा दिया गया है।
उन्होंने कहा कि जिस देश में स्वच्छ भारत मिशन पर हर साल हजारों करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हों। सरकार द्वारा 12 करोड़ से ज़्यादा घरों में शौचालय बनवाया गया हो, उस देश में पच्चीस रुपए हर टॉयलेट सीट के हिसाब से टैक्स लगाना घटिया कृत्य है। दिल्ली के दबाव के बाद सरकार ने भले ही वह टैक्स वापस ले लिया हो लेकिन मंत्री की वेबसाइट पर टॉयलेट टैक्स लगाने और उसे बैक डेट से वापस लेने के दस्तावेज अभी भी मौजूद हैं।