शिमला, 03 जुलाई। हिमाचल प्रदेश में इस बार मानसून कहर बनकर टूटा है। बादल फटने, भारी बारिश और भूस्खलनों ने राज्य के कई इलाकों में भारी तबाही मचाई है। बीते 72 घंटों के भीतर राज्य में बादल फटने की 14 और फ्लैश फ्लड की 3 घटनाएं दर्ज की गई हैं। अकेले मंडी जिले में बीते सोमवार की रात 13 स्थानों पर बादल फटे हैं, जिससे सबसे अधिक जानमाल का नुकसान हुआ है।
राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार 20 जून से अब तक पूरे राज्य में मानसून जनित घटनाओं में 69 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 37 लोग अब भी लापता हैं। इस दौरान 110 लोग घायल हुए हैं और कुल नुकसान का आंकलन 495 करोड़ रुपये से अधिक बताया गया है। बादल फटने से 14, फ्लैश फ्लड से 8 और बहाव में फंसने से 7 लोगों की जान गई है।
मंडी बना प्राकृतिक आपदा का केंद्र
मंडी जिला इस बार आपदा का केंद्र बन गया है। 30 जून की रात बादल फटने के बाद शुरू हुई तबाही थमने का नाम नहीं ले रही। अब तक मंडी में 14 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 31 लोग लापता हैं। जिले में गोहर, थुनाग, करसोग और जंजैहली क्षेत्रों में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें राहत एवं बचाव कार्यों में जुटी हैं। अब तक मंडी जिले से 348 लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है। यहां 154 मकान पूरी तरह ध्वस्त हो गए हैं, 31 वाहन क्षतिग्रस्त हुए हैं, 106 पशुशालाएं और दो दुकानें ढह गई हैं, जबकि 14 पुल बह गए हैं। इस तबाही में 165 मवेशियों की मौत भी दर्ज की गई है।
भूस्खलन से 246 सड़कें बंद, 404 ट्रांसफार्मर खराब
भारी बारिश और भूस्खलनों से प्रदेश का बुनियादी ढांचा बुरी तरह चरमरा गया है। प्रदेशभर में 246 सड़कें यातायात के लिए बंद हैं, जिनमें अकेले मंडी में 145 सड़कें शामिल हैं। कुल्लू में 36, सिरमौर में 25 और शिमला में 22 सड़कें बंद हैं।
इसी तरह राज्य में 404 ट्रांसफार्मर ठप हो गए हैं, जिनमें मंडी में सर्वाधिक 353 ट्रांसफार्मर बंद हैं। बिजली की आपूर्ति बुरी तरह बाधित है।
पेयजल आपूर्ति भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। मंडी में 605, हमीरपुर में 104 और सिरमौर में 21 पेयजल योजनाएं बंद पड़ी हैं। पूरे प्रदेश में 784 पेयजल योजनाएं ठप हैं, जिससे लोगों को पानी के संकट का सामना करना पड़ रहा है।
मौसम विभाग का चेतावनी अलर्ट
मौसम विभाग ने आगामी दिनों में और भी अधिक बारिश की चेतावनी जारी की है। 5 जुलाई से 9 जुलाई तक राज्य में भारी से बहुत भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। कांगड़ा, मंडी, हमीरपुर, शिमला और सिरमौर जिलों में अगले 24 घंटों के दौरान फ्लैश फ्लड का खतरा बताया गया है।
बीते 24 घंटों में सिरमौर के पच्छाद में सबसे ज्यादा 133 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई है। हमीरपुर के बड़सर में 92 मिमी, शिमला के जुब्बड़हट्टी में 59 मिमी, ऊना में 55 मिमी, नाहन में 42 मिमी, कांगड़ा में 32 मिमी, सराहन में 29 मिमी, सुंदरनगर में 19 मिमी और शिमला शहर में 10 मिमी वर्षा दर्ज हुई है।
शिमला में भूस्खलन से फोरलेन की सुरक्षा दीवार गिरी
राजधानी शिमला के ढली क्षेत्र के लिंडीधार गांव में फोरलेन निर्माण के दौरान बनी सुरक्षा दीवार गुरुवार को अचानक ढह गई। इसके चलते सैकड़ों सेब के पेड़ दब गए और आसपास के घरों को खतरा उत्पन्न हो गया। कुछ स्थानीय लोग घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन को मजबूर हो गए हैं। लोगों ने एनएचएआई पर निर्माण में लापरवाही का आरोप लगाया है।
शिमला ग्रामीण के एसडीएम मंजीत शर्मा ने घटनास्थल का निरीक्षण किया और बताया कि पहले भी यहां भूस्खलन हो चुका है, जिस पर एनएचएआई को मरम्मत के निर्देश दिए गए थे। अब एक घर को सीधा खतरा बना हुआ है।
प्रशासन ने की अपील, सतर्क रहें लोग
प्रशासन और मौसम विभाग ने लोगों से नदी-नालों से दूर रहने, अनावश्यक यात्रा से बचने और प्रशासन के निर्देशों का पालन करने की अपील की है। राहत और बचाव कार्यों को तेज करने के निर्देश भी जारी किए गए हैं।
प्रदेश सरकार और आपदा प्रबंधन टीमें हालात पर नजर बनाए हुए हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि सरकार हर पीड़ित तक मदद पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि प्रभावित इलाकों में सड़क, बिजली व पेयजल स्कीमों की बहाली के कार्य युद्धस्तर पर जारी है।