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जाइका के तहत वित्तीय वर्ष 2023 -24 में 460 सूक्ष्म योजनाएं धरातल पर क्रियान्वित हाेंगी

Himgiri Samachar:

शिमला, 25 मई। शिमला के होटल पीटरहॉफ में आयोजित की जा रही जाइका वित्तपोषित वानिकी और एनआरएम परियोजनाओं की 12 वीं वार्षिक कार्यशाला के दूसरे दिन देश के विभिन्न स्थानों से आए प्रतिनिधियों ने जाइका परियोजना के तहत वन पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन और आजीविका सुधार पर किए जा रहे प्रयासों पर चर्चा की। हिमाचल प्रदेश वन पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन और आजीविका सुधार परियोजना के अंतर्गत किए जा रहे कार्यों की विस्तृत जानकारी देते हुए नागेश कुमार गुलेरिया, अतिरिक्त प्रधान मुख्य अरण्यपाल एवं मुख्य परियोजना निदेशक ने कहा कि इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य परियोजना क्षेत्रों में सतत वन प्रबंधन द्वारा वन पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करना है। इसके अतिरिक्त परियोजना का लक्ष्य जैव विवधता का संरक्षण ,ग्रामीण लोगों की आजीविका में सुधार और संस्थान क्षमता को बढ़ावा देना है जिससे प्रदेश के पर्यावरण का संरक्षण व सामाजिक आर्थिक स्थिति में सुधार लाया जा सके। इस परियोजना के तहत वित्तीय वर्ष 2023 -2024 के अंत तक 460 सूक्ष्म योजनाएं धरातल पर कार्यन्वित की जायेंगी। परियोजना के अंतर्गत लोगों की आर्थिकी में सुधार के लिए स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से लगभग 24 आय सृजन गतिविधियां चलाई जा रही है जिनमें से कुच्छ गतिविधियां अन्य विभागों के साथ अभिसरण (कन्वर्जेन्स ) के माध्यम से चलाई जा रही हैं।

 

उन्होंने आगे जानकारी देते हुए बताया कि स्वयं सहायता समूहों के द्वारा तैयार किए जारहे उत्पादों की बिक्री के लिए शोघी,शिमला में एक विक्रय केंद्र का उद्घाटन आज भारत में जाइका के मुख्य प्रतिनिधि साइटो मित्सुनोरि ने किया।उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला में विभिन्न प्रतिभागियों ने अपने बहुमूल्य सुझाव प्रस्तुत किए जो जल्द ही प्रदेश सरकार के साथ साझा किए जायेंगे।

 

कार्यशाला में चर्चा के दौरान प्रसााद राव , आजीविका एवं विकास परियोजना निदेशक, त्रिपुरा ने राज्य में लोगों की आजीविका सुधार के अंतर्गत किए जा रहे कार्यों के विषय में बताते हुए कहा कि राज्य में कृषि वानिकी ,इकोटूरिज्म ,वन उत्पाद आधारित गतिविधियों के माध्यम से समुदायों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए परियोजना के तहत कार्य किए जा रहे हैं।

 

वंही कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के पूर्व कुलपति व आजीविका विशेषज्ञ तेज प्रताप ने चीन के आजीविका सुधार मॉडल पर जानकारी देते हुए बताया कि चीन में लोगों की भागीदारी द्वारा आर्थिक वन प्रबंधन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आधुनिक वन प्रबंधन के माध्यम पर्वतीय क्षेत्रो में जंहा लोगों भूमि वहन क्षमता कम है वहां चीन के आजीविका सुधार मॉडल को अपनाकर मशरुम ,बांस तथा अन्य वन संसाधनों से तैयार किये गए उत्पादों को वैश्विक स्तर के मापदंडो पर तैयार करके लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाया जा सकता है।

 

कार्यशाला के दौरान कोकोरोज , परियोजना उप निदेशक, उत्तराखंड वन संसाधन प्रबंधन परियोजना ने जाइका परियोजना के तहत आजीविका सुधार के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि उत्तराखंड में पंचायतों के माध्यम से लोगों की आजीविका सुधार के कार्य कार्य किए जा रहे हैं जिससे लोगों की वनों पर निर्भरता को कम करके वनों के सतत्त प्रबंधन व पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार कार्य सफलता पूर्वक चलाए जा रहे हैं।

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