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सांस्कृतिक जागरण और तकनीकी प्रगति साथ-साथ चल सकती है : अमित शाह

Himgiri Samachar:

नई दिल्ली, 14 जुलाई। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि सांस्कृतिक जागरण और तकनीकी प्रगति एक-दूसरे के विरोधी नहीं बल्कि एक साथ चल सकते हैं। उन्होंने यह बात नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित भारत विकास परिषद के 63वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कही।

 

अमित शाह ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, “कुछ लोग पूछते हैं कि राम मंदिर से क्या लाभ होगा, लेकिन वे नहीं समझते कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण और तकनीकी उन्नति साथ-साथ हो सकती है। प्रधानमंत्री मोदी ने राम मंदिर भी बनवाया और 5जी नेटवर्क व डिजिटल पेमेंट जैसी सुविधाएं गांव-गांव तक पहुंचाई हैं।”

 

शाह ने भारत विकास परिषद के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि यह संस्था सेवा, संगठन और संस्कार के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में योगदान दे रही है। उन्होंने कहा कि “63 वर्षों तक निस्वार्थ भाव से सेवा कार्य करना किसी तपस्या से कम नहीं है। यह संस्था न केवल सेवा करती है, बल्कि भारतीयों को भारत के मूल तत्वों से जोड़ने का कार्य भी कर रही है।”

 

उन्होंने परिषद को उन लोगों के लिए सेवा का सेतु बताया जो सेवा करना चाहते हैं और जो सेवा के पात्र हैं। आज परिषद देश के 412 जिलों में 1600 से अधिक शाखाओं और 84 हजार से ज्यादा परिवारों के साथ जुड़ी हुई है।

 

शाह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की “विकसित भारत 2047” की संकल्पना का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत विकास परिषद इस दिशा में एक मुख्य सेवक की तरह कार्य कर रही है। उन्होंने मोदी द्वारा दिए गए पांच सूत्रों – विकसित भारत का लक्ष्य, गुलामी की मानसिकता से मुक्ति, विरासत पर गर्व, एकता और कर्तव्य भावना – को भारत विकास परिषद की कार्यशैली से जोड़ते हुए उसकी सराहना की।

 

उन्होंने इंडिया गेट पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा स्थापना को ऐतिहासिक क्षण बताया और कहा कि उस समय ऐसा लगा मानो भारत आज ही स्वतंत्र हुआ हो।

 

शाह ने कहा कि भारत विकास परिषद केवल एक संस्था नहीं, बल्कि एक विचार है, जो सेवा को जीवन का स्वभाव बनाकर भारत को आत्मनिर्भर और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राष्ट्र बनाने के प्रयास में जुटा है।

 

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