|

हिमाचल प्रदेश में दलबदल करने वाले अयोग्य घोषित विधायकों की पेंशन खत्म, सदन में पारित हुआ संशोधन विधेयक

Himgiri Samachar:

शिमला, 4 सितंबर। हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने एक ऐतिहासिक फैसला लेकर उन पूर्व विधायकों की पेंशन खत्म कर दी है, जिन्होंने इसी साल प्रदेश की कांग्रेस सरकार से बगावत की थी और बाद में भाजपा का दामन थाम लिया था। इस सम्बंध में बुधवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा सदस्यों के भत्ते और पेंशन अधिनियम संशोधन विधेयक पारित कर दिया। इस दाैरान सदन में विपक्ष के सदस्याें ने विरोध जताया। विधेयक के पारित होने के बाद अब इसे राज्यपाल की मंजूरी को भेजा जाएगा। मंजूरी मिलने के बाद ही यह कानून बन जाएगा। अयोग्य विधायकों की पेंशन खत्म करने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य बन गया है।

 

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस संशोधन विधेयक को मंगलवार को सदन में पेश किया। बुधवार काे सदन में इस संशोधन विधेयक पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि सत्ता व कुर्सी सदैव साथ नहीं रहती। मगर राजनीति में सिद्धांत जिंदा रहते हैं। उन्होंने कहा कि दलबदल करने वाले सदस्यों की मुझसे नाराजी हो सकती है, मगर उन्होंने पार्टी को धोखा दिया। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने के मकसद से संशोधन विधेयक को प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने कहा कि विधायक रात को भोजन हमारे साथ करते हैं तथा सुबह वोट कहीं और देते हैं। उन्होंने स्वच्छ लोकतंत्र के लिए संशोधन विधेयक का समर्थन करने का आग्रह सदन से किया ताकि भविष्य में कोई दलबदल की हिम्मत न कर सके।

 

भाजपा के राकेश जम्वाल ने विधेयक पर दिए गए संशोधन पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि संशोधन विधेयक को जल्दबाजी में पेश किया गया है। उन्होंने कहा कि विधेयक बैक डेट से कैसे लागू हो सकता है। लिहाजा सरकार को हर विषय पर विचार करना चाहिए। भाजपा के ही रणधीर शर्मा ने विधेयक को बदले की भावना से पेश किया गया करार दिया। उन्होंने बीते फरवरी माह के राजनीतिक घटनाक्रम व राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग का उल्लेख करते हुए कहा कि सदस्यों ने कोई दलबदल नहीं किया है। उन्होंने कहा कि इस संशोधन से मकसद पूरा नहीं होने वाला। मुख्यमंत्री को आत्मचिंतन करना चाहिए कि विधायक क्यों नाराज थे। उन्होंने विधेयक को प्रवर समिति को भेजने का आग्रह किया।

 

चर्चा के दाैरान राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि दलबदल से लोकतंत्र कमजोर होता है। दलबदल कर सरकार गिराने की घिनौनी हरकत करने वालों को सजा मिलनी चाहिए। नेगी ने भी विधेयक को प्रवर समिति को भेजने की बात कही। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि इस संशोधन विधेयक से राजनीतिक प्रतिशोध की बू आ रही है। उन्होंने कहा कि राज्यसभा वोटिंग में भाजपा की सदस्यता कांग्रेस विधायकों ने नहीं ली। व्हिप की अवहेलना पर कार्रवाई विधानसभा अध्यक्ष ने की। इसके बाद अयोग्य करार दिए गए विधायक भाजपा के सदस्य बने। लिहाजा वे संविधान के शेड्यूल दस की परिधि में नहीं आते। चर्चा में कांग्रेस के संजय अवस्थी व भाजपा के विपिन सिंह परमार तथा आशीष शर्मा ने भी भाग लिया।

 

इस संशोधन विधेयक में की गई सिफारिशों के लागू होने के बाद दो पूर्व विधायकों गगरेट से चैतन्य शर्मा और कुटलैहड़ से देवेंद्र कुमार भुट्टो की पेंशन बंद हो जाएगी, क्योंकि ये दोनों पहली बार विधायक बने थे। वहीं चार अन्य पूर्व विधायकों धर्मशाला से सुधीर शर्मा, सुजानपुर से राजेंद्र राणा, बड़सर से इंद्र दत्त लखनपाल, लाहौल स्पीति से रवि ठाकुर की इस टर्म की पेंशन रुक जाएगी। खास बात यह है कि इस प्रस्तावित विधेयक के अनुसार, जिन्हें संविधान के शेड्यूल-10 के हिसाब से अयोग्य घोषित किया गया है। उनसे 14वीं विधानसभा के कार्यकाल की पेंशन व भत्तों की रिकवरी भी की जा सकती है।

 

गौरतलब है कि विधानसभा के बजट सत्र के दौरान वित्त विधेयक को पास करने के दौरान सत्ता पक्ष के छह सदस्य सदन से गैरहाजिर रहे थे और उन्होंने पार्टी व्हिप का उल्लंघन किया था। इस आधार पर विधानसभा अध्यक्ष ने संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान के प्रस्ताव पर इन छह सदस्यों के खिलाफ सदस्यता से अयोग्य घोषित किए जाने का फैसला सुनाया था। कांग्रेस के छह बागी विधायकों में चैतन्य शर्मा और देवेंद्र भुट्टो पहली बार विधायक बने थे।

RELATED NEWS

0 Comments

leave a comment