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हिमाचल में धीमा पड़ा मानसून

Himgiri Samachar:

शिमला, 7 सितंबर। हिमाचल प्रदेश में अगले पांच दिन मानसून के मंद रहने से मुसलाधार वर्षा से लोगों को राहत मिलेगी। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार आगामी 13 सितंबर तक राज्य में छिटपुट वर्षा तो होगी, मगर किसी प्रकार का अलर्ट नहीं रहेगा। आगामी दिनों में ज्यादातर इलाकों में हल्की धूप भी खिल सकती है। राजधानी शिमला सहित राज्य के अधिकांश भागों में आज बादल छाए हुए हैं।

 

राज्य में शुक्रवार शाम से शनिवार सुबह तक कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा हुई है और न्यूनतम व अधिकतम तापमान में कोई बदलाव नहीं हुआ है। मेलराण में सबसे ज्यादा 64 मिलीमीटर वर्षा रिकार्ड हुई है। पण्डोह में 32, बरठीं में 30, अग्घर में 29, मंडी व भटियात में 28-28 और जुब्बड़हट्टी में 26 मिमी वर्षा हुई। राज्य में इस बार मानसून की सामान्य से 24 फीसदी कम बरसात रही। मानसून ने 27 जून को सूबे में दस्तक दी थी। अक्टूबर के पहले हफ्ते तक मानसून यहां से रुखसत होता है।

 

इस बीच राज्य के पर्वतीय इलाकों में हल्की ठंड पड़नी शुरू हो गई है। पर्यटन स्थलों शिमला, मनाली और डल्हौजी में सुबह-शाम का मौसम ठंडा रह रहा है। लाहौल-स्पीति का मुख्यालय केलंग सबसे ठंडा स्थल रहा जहाँ न्यूनतम तापमान 9.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। शिमला में न्यूनतम तापमान 15.1 डिग्री, मनाली में 16.1 डिग्री और डल्हौजी में 13 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया।

 

भूस्खलन के कारण एक नेशनल हाइवे और 45 सड़कें बंद

 

मानसून के धीमे पड़ने के बावजूद कई सड़कों पर भूस्खलन होने से वाहनों की आवाजाही थमी हुई है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार शनिवार सुबह तक एक नेशनल हाईवे औऱ 45 सड़कें बंद रहीं। मंडी जिला में 13, कांगड़ा में 11, शिमला व कुल्लू में नौ-नौ, ऊना में दो और सिरमौर में एक सड़क बंद है। किन्नौर के उपमण्डल निचार में नेशनल हाइवे भी भूस्खलन से ठप हो गया है। इसके अलावा कुल्लू में 16 और चम्बा में दो बिजली ट्रांसफार्मर भी खराब पड़े हैं।

 

पिछले 10 हफ्तों में वर्षा जनित घटनाओं में 157 लोगों की मौत

 

मानसून सीजन के पिछले करीब 10 हफ्तों में भारी वर्षा, भूस्खलन, बादल फटने, बहने, फिसलने सहित अन्य हादसों में 157 लोग मारे गए। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र की रिपोर्ट के मुताबिक भूस्खलन से छह, बाढ़ से आठ, बादल फटने से 23, पानी में बहने से 27, आसमानी बिजली गिरने से एक, सर्पदंश से 26, करंट से 17, ऊंचाई से गिरने व फिसलने से 38 और अन्य कारणों से 11 लोगों की जान गई है। कांगड़ा जिला में सबसे ज्यादा 27 और किन्नौर में सबसे कम तीन लोगों की मृत्यु हुई।

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