नई दिल्ली, 27 मई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को देश विभाजन को भारत की पीड़ा का मूल कारण बताते हुए कहा कि 1947 में मां भारती के अंग काट दिए गए, जबकि जंजीरें कटनी चाहिए थीं। उसी रात कश्मीर पर पहला आतंकी हमला हुआ और पाकिस्तान ने मुजाहिदीनों के जरिये भारत का हिस्सा हड़प लिया। अगर तब ही सख्त कार्रवाई की गई होती, तो 75 वर्षों का यह आतंकवाद न झेलना पड़ता। उन्होंने कहा, “एक कांटा पूरे शरीर को पीड़ा देता है और हमने तय कर लिया है कि अब वह कांटा निकालकर ही दम लेंगे।”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज गांधीनगर में गुजरात अर्बन ग्रोथ स्टोरी के 20 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में भाग लिया और शहरी विकास वर्ष 2025 का शुभारंभ किया। वर्ष 2005 में तत्कालीन मुख्यमंत्री के तौर पर उनके द्वारा शुरू की गई इस पहल का उद्देश्य शहरी ढांचे का नियोजित विकास था। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने शहरी विकास, स्वास्थ्य और जल आपूर्ति से जुड़ी कई परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास किया। साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 22 हजार से अधिक घर समर्पित किए और शहरी निकायों को 3,300 करोड़ रुपये की धनराशि भी जारी की।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आतंकवाद का रास्ता प्रॉक्सी वॉर नहीं, बल्कि एक सोची-समझी युद्ध रणनीति है। उन्होंने कहा कि 6 मई की रात को मारे गए आतंकवादियों को सम्मान देना, उनके ताबूतों पर पाकिस्तानी झंडे लपेटे जाना और वहां की सेना का उन्हें सलामी देना यह साबित करता है। उन्होंने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी, “आप वॉर ही कर रहे हैं, तो उसका जवाब भी वैसे ही मिलेगा।”
प्रधानमंत्री ने बताया कि पाकिस्तान की ओर से भारत के खिलाफ चलाए जा रहे युद्ध की एक पृष्ठभूमि है। सीधा युद्धों में हार के चलते उसे एहसास हुआ कि वे सीधे युद्ध में भारत से नहीं जीत सकता, इसलिए उन्होंने आतंकवाद को एक रणनीतिक हथियार के रूप में अपनाया। आतंकवादी सिर्फ भाड़े के लड़ाके नहीं हैं। वे पाकिस्तान की सेना से जुड़े और उनके निर्देश पर काम करने वाले लोग हैं। अब जब वे खुलेआम युद्ध जैसा व्यवहार कर रहे हैं, तो भारत भी उन्हें उसी तरह निर्णायक और सशक्त जवाब देगा ।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सिंधु जल समझौता भारत के हित को कई तरह से प्रभावित कर रहा था। अभी हमने इसे केवल स्थगित किया है और पाकिस्तान में इसको लेकर घबराहट है। उन्होंने समझौते की शर्तों पर आश्चर्य जताया और कहा कि भारत सबका भला चाहता है। उन्होंने कहा कि 1960 की सिंधु जल संधि में यह तय हुआ था कि जम्मू-कश्मीर की नदियों पर बने बांधों की सफाई नहीं की जाएगी। 60 साल तक इनके गेट नहीं खुले, लेकिन हमने थोड़ी सफाई शुरू की, गेट थोड़े खोले और पाकिस्तान में बाढ़ आ गई। “अभी तो हमने पूरी कार्रवाई शुरू ही नहीं की है और वे पहले ही घबरा गए हैं।”
प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान विदेशी उत्पादों पर निर्भरता छोड़ने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ सिर्फ सेना का नहीं, 140 करोड़ भारतीयों की जिम्मेदारी है। 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य पाने के लिए हमें हर दिन इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं में भी ‘मेक इन इंडिया’ को प्राथमिकता देनी होगी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि छोटे शहर भारत की आर्थिक प्रगति के इंजन हैं। भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाना है तो शहरी विकास इन शहरों से शुरू होना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पर्यटन भारत की अपार संभावनाओं वाला क्षेत्र है और गुजरात इसका जीवंत उदाहरण है। कच्छ और वडनगर जैसे स्थान आज विश्व मानचित्र पर उभर रहे हैं। कल्पनाओं को धरातल पर उतारने से असाधारण परिणाम मिलते हैं—रिवरफ्रंट, दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम और स्टैच्यू ऑफ यूनिटी इसी सोच के प्रमाण हैं।