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बिजली बोर्ड में भरे जायेंगे टी-मेट्स व लाइनमैन के दो हजार पद: मुख्यमंत्री सुक्खू

Himgiri Samachar:

शिमला, 21 अप्रैल। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड (एचपीएसईबीएल) की कार्यप्रणाली को और अधिक मजबूत व पारदर्शी बनाने के लिए महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं। उन्होंने बोर्ड को राज्य में बिजली क्षति का सटीक आकलन करने और बिजली चोरी पर रोक लगाने के लिए फीडर मीट्रिंग जैसी आधुनिक प्रणाली अपनाने के निर्देश दिए हैं।

 

मुख्यमंत्री ने सोमवार को यहां एचपीएसईबीएल और ऊर्जा विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक के दौरान कहा कि उपभोक्ताओं की फीडर मैपिंग की जाए, ताकि सभी प्रकार की जानकारी डिजिटल रूप में एक ही स्थान पर उपलब्ध हो सके। उन्होंने कहा कि वाणिज्यिक, औद्योगिक और घरेलू उपभोक्ताओं को फीडर स्तर पर ट्रैक करना जरूरी है, जिससे बिजली चोरी जैसे मामलों की पहचान आसानी से हो सके।

 

प्रदेश सरकार द्वारा बिजली क्षेत्र को और अधिक दक्ष बनाने के प्रयासों के तहत मुख्यमंत्री ने आगामी महीनों में टी-मेट्स और लाइनमैन के 2000 पद भरने की बात भी कही। उन्होंने कहा कि इससे न केवल विभाग की कार्यक्षमता बढ़ेगी, बल्कि युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।

 

मुख्यमंत्री ने बैठक में 450 मेगावाट क्षमता की शोंग-टोंग जल विद्युत परियोजना की प्रगति की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए कि यह परियोजना समयबद्ध ढंग से नवंबर 2026 तक पूरी होनी चाहिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि परियोजना शुरू होने से पूर्व विद्युत निकासी (इवैकुएशन) की विस्तृत योजना तैयार की जाए ताकि आपात स्थिति में किसी प्रकार की राजस्व हानि न हो।

 

साथ ही मुख्यमंत्री सुक्खू ने औद्योगिक क्षेत्रों में लंबे समय से एक ही स्थान पर तैनात अधिकारियों और कर्मचारियों का तबादला करने को भी कहा। उन्होंने कहा कि इससे प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी, जो सुशासन के लिए आवश्यक है।

 

मुख्यमंत्री ने प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत कर्मचारियों को 30 अप्रैल तक अपनी पसंद का विभाग चुनने का अवसर देने का भी निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि एचपीएसईबीएल, ऊर्जा निदेशालय, पॉवर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन और पॉवर कॉरपोरेशन में कार्यरत कर्मियों को यह विकल्प मिलेगा। इसी प्रकार सिविल विंग के कर्मचारी भी लोक निर्माण विभाग या अन्य विभाग में जाने का विकल्प चुन सकते हैं।

 

उन्होंने यह स्पष्ट किया कि विभागीय विकल्प चुनने से कर्मचारियों की पदोन्नति, वेतन या अन्य सेवा शर्तों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। सरकार आवश्यक नीतियों में संशोधन कर उनके सभी अधिकारों और लाभों की पूरी सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।

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