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हिमाचल में प्रतिभा सिंह नहीं लड़ेंगी लोकसभा चुनाव, नए चेहरों पर दांव खेलेगी कांग्रेस

Himgiri Samachar:

शिमला, 20 मार्च। हिमाचल प्रदेश में अपने छह विधायकों की बगावत से जूझ रही कांग्रेस पार्टी लोकसभा चुनाव में सूबे की चार सीटों पर उम्मीदवार तय करने के लिए लगातार विमर्श कर रही है। ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सभी सीटों पर नए चेहरे पर दांव लगा सकती है। इसी बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने इस बार लोकसभा चुनाव न लड़ने का ऐलान किया है।

मंडी सीट से मौजूदा सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह ने दोबारा चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है। प्रतिभा सिंह ने बुधवार को शिमला में मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि किसी भी चुनाव में पार्टी के कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका रहती है। वह बार-बार सरकार से गुहार लगाती रहीं कि कार्यकर्ताओं को महत्व देना जरूरी है। तभी हम चुनाव में अच्छे से अपने प्रतिद्वंद्वी का मुकाबला कर सकते हैं। मैंने पूरे प्रदेश का दौरा किया और फील्ड में रही। लेकिन अब हालात ऐसे बने हैं कि हमें शायद ही लोकसभा चुनाव में ज्यादा कामयाबी मिले। प्रतिभा सिंह ने कहा कि "उन्होंने मंडी सीट से उम्मीदवार के तौर पर अपना नाम वापस ले लिया है और हाईकमान को बता दिया है कि मैं मंडी से चुनाव नहीं लड़ूंगी तथा पार्टी किसी को भी उम्मीदवार बना सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि उनके पास प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का औहदा है और ऐसे में वह महज एक लोकसभा सीट पर केंद्रित नहीं रह सकती।

 

प्रदेश कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की मंगलवार शाम नई दिल्ली में कमेटी अध्यक्ष भक्त चरण दास की अध्यक्षता में हुई बैठक में टिकट के दावेदारों के नाम पर चर्चा की गई। बैठक में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह भी शामिल हुई। माना जा रहा है कि इसी हफ्ते केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में चारों उम्मीदवारों के नाम घोषित हो सकते हैं। ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि कांग्रेस चारों सीटों पर उम्मीदवारों को बदल कर नए चेहरों को चुनाव लड़ाने की तैयारी चल रही है। हिमाचल प्रदेश में मंडी, शिमला, हमीपुर और कांगड़ा संसदीय सीट हैं। इन चार सीटों के लिए कांग्रेस में 36 से अधिक पार्टी नेताओं ने दावेदारी की है। बैठक में एक-एक सीट पर एक एक दावेदार और मजबूत दावेदार को लेकर मंथन हुआ है। पार्टी शीर्ष नेतृत्व की कोशिश है कि चारों सीट पर बड़े व जिताऊ नामों को उतारा जाए। यह भी माना जा रहा है कि उम्मीदवार तय करने मुख्यमंत्री सुक्खू की पसंद का खास ध्यान रखा जाएगा ।

 

 

 

माना यह भी जा रहा है कि यदि प्रतिभा सिंह लोकसभा चुनाव लड़ती हैं तो उन्हें कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ना पड़ सकता है, जबकि वह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी छोड़ना नहीं चाह रही हैं। ढाई साल पहले मंडी सीट पर हुए उपचुनाव में प्रतिभा सिंह ने भाजपा के खुशहाल ठाकुर को हराकर यह सीट कांग्रेस की झोली में डाली थी। इस बार भी उन्हें मंडी सीट पर सशक्त उम्मीदवार माना जा रहा है। प्रतिभा सिंह के चुनाव न लड़ने की सूरत में युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष निगम भंडारी औऱ पूर्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर के नामों पर विचार चल रहा है।

 

कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी मुश्किल हमीपुर सीट पर आ सकती है। हमीपुर सीट पर कांग्रेस लगातार आठ चुनाव हार चुकी है। भाजपा के कदावर नेता अनुराग ठाकुर के प्रभुत्व वाली इस सीट पर कांग्रेस को आखिरी बार जीत वर्ष 1996 के लोकसभा चुनाव में मिली थी। अनुराग ठाकुर लगातार चार बार से यहां से सांसद हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट से पूर्व मंत्री रामलाल ठाकुर को उतारा था। इस बार उन्होंने भी चुनाव लड़ने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है। रामलाल ठाकुर का कहना है कि उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए आवेदन नहीं किया है। पिछली बार भी पार्टी हाईकमान के निर्देश पर लोकसभा चुनाव लड़ा था। पार्टी नेतृत्व के जो भी निर्देश होंगे उसकी पालना की जाएगी। इस सीट से पूर्व विधायक सतपाल रायजादा, सीएम के राजनीतिक सलाहकार सुनील शर्मा और सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी धर्मेंद्र पटियाल के नामों पर मंथन चल रहा है। राजनीतिक गलियारों में मुख्यमंत्री सुक्खू की पत्नी कमलेश को भी उम्मीदवार बनाने की चर्चा हो रही है। मुख्यमंत्री सुक्खू, उपमुख्यमंत्री मुकेश हमीपुर संसदीय क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं।

 

 

 

अनुराग ठाकुर के सियासी कद को देखते हुए कांग्रेस हाईकमान के सामने इस सीट पर एक ऐसे चेहरे को उतारने की चुनौती है, जो सारे समीकरणों को फिट बैठने के साथ ही पार्टी में एक राय बना सके।

 

 

 

पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने शिमला लोकसभा सीट पर धनीराम शांडिल पर दांव खेला था। धनीराम शांडिल वर्तमान में विधायक और मंत्री हैं। अपने छह विधायकों की बगावत के बाद विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 68 से घटकर 62 रह गई है। ऐसे में पार्टी लोकसभा चुनाव में सिटिंग विधायकों को उतारने का रिक्स नहीं लेगी। इस सीट से कांग्रेस नए चेहरों के तौर पर दयाल प्यारी, अमित नन्दा, यशपाल और कौशल मूँगटा पर दांव खेला सकती है।

 

 

 

कांगड़ा से कांग्रेस की टिकट पर पिछला चुनाव लड़ने वाले पवन काजल भाजपा में आ चुके हैं। वह वर्तमान में भाजपा के विधायक हैं। कांग्रेस इस सीट से पूर्व मंत्री आशा कुमारी, संजय चौहान और मेजर सेवानिवृत्त डीवीएस राणा को संभावित उम्मीदवार के तौर पर देखा जा रहा है।

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