शिमला, 12 जून। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा है कि प्रदेश सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है और इसी कड़ी में ऊना ज़िले में लगभग 20 करोड़ की लागत से एक आलू प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किया जाएगा। उन्होंने यह घोषणा गुरूवार काे हिमाचल प्रदेश रिवाइटलाइजिंग रेनफेड एग्रीकल्चर नेटवर्क द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय बहु-हितधारक परामर्श सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए की।
मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार जल्द ही आलू का समर्थन मूल्य भी घोषित करेगी, जिससे किसानों को सीधा आर्थिक लाभ मिलेगा और उनकी आजीविका सुदृढ़ होगी। उन्होंने कहा कि राज्य की 80 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर है और कृषि प्रदेश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जिसका राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 14 प्रतिशत योगदान है।
सम्मेलन में प्राकृतिक खेती के महत्व पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार ऐसी खेती को बढ़ावा देने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पहले ही निर्धारित कर चुकी है और भविष्य में इसमें और वृद्धि की जाएगी। उन्होंने कहा कि पारंपरिक खेती की ओर लौटना समय की मांग है, क्योंकि इससे न केवल पोषण बढ़ता है, बल्कि पानी की कम खपत वाली फसलें भी उगाई जा सकती हैं।
मुख्यमंत्री ने चिंता जताई कि उत्तर-पूर्वी राज्यों के बाद हिमाचल प्रदेश में कैंसर के मामलों में सबसे अधिक वृद्धि हो रही है, जिसके पीछे बदलते खान-पान की आदतें भी एक प्रमुख कारण हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि इस विषय पर वैज्ञानिक अध्ययन कराए जा रहे हैं।
राज्य सरकार जलवायु सहनशील कृषि, दालों और पशुपालन को बढ़ावा देने, पारंपरिक बीजों के प्रयोग, जल संरक्षण और मृदा प्रबंधन को प्राथमिकता दे रही है। सुक्खू ने इस अवसर पर प्राकृतिक खेती के अनुभवों पर आधारित एक पुस्तक का विमोचन भी किया और प्रदेश के किसानों द्वारा प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए उनकी सराहना की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार भविष्य की पीढ़ियों को पोषक आहार और स्वच्छ पर्यावरण सुनिश्चित करने की दिशा में ठोस कदम उठा रही है और प्राकृतिक खेती इसका अहम हिस्सा है।