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नाबालिग आत्महत्या मामले में आरोपित महिला गिरफ्तार

Himgiri Samachar:

शिमला, 16 अक्टूबर। जिला शिमला के रोहड़ू उपमंडल के चिड़गांव क्षेत्र के लिम्बरा गांव में 12 वर्षीय अनुसूचित जाति के बालक की आत्महत्या के मामले में पहली गिरफ्तारी हुई है। पुलिस ने आरोपित महिला को गिरफ्तार कर लिया है। चिडग़ांव पुलिस ने आरोपित महिला की हिमाचल हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत खारिज होने के बाद बीती रात गिरफ्तार कर किया और आज उसे अदालत में पेश किया जाएगा। डीएसपी रोहड़ू प्रणव चौहान ने इसकी पुष्टि की है।

 

गौरतलब है कि 16 सितम्बर को चिड़गांव के लिम्बरा गांव में 12 वर्षीय बालक ने कथित तौर पर जातिगत भेदभाव और प्रताड़ना से आहत होकर जहर खा लिया था। बच्चे के परिजनों ने आरोप लगाया था कि गांव की कुछ महिलाओं ने बच्चे को जातिगत आधार पर पीटा, गौशाला में बंद किया और शुद्धिकरण के नाम पर उनके परिवार से बकरे की मांग की थी। गंभीर हालत में बालक को आईजीएमसी शिमला लाया गया, जहां 17 सितम्बर की रात उसने दम तोड़ दिया।

 

पुलिस ने शुरुआत में मामला सामान्य धाराओं के तहत दर्ज किया था, लेकिन जातिगत उत्पीड़न के पहलू सामने आने के बाद 26 सितम्बर को इसमें अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम की धाराएं भी जोड़ी गईं।

 

इस बीच हिमाचल प्रदेश अनुसूचित जाति आयोग ने इस पूरे घटनाक्रम पर सख्त रुख अपनाया है। आयोग के अध्यक्ष कुलदीप कुमार धीमान ने पिछले कल बुधवार को रोहड़ू पहुंचकर स्थानीय प्रशासन और पुलिस अधिकारियों से मामले की पूरी रिपोर्ट तलब की। आयोग ने जांच में लापरवाही बरतने पर मामले के जांच अधिकारी एएसआई मंजीत को निलंबित करने के आदेश जारी किए हैं। साथ ही पीड़ित परिवार को सुरक्षा प्रदान करने के निर्देश भी दिए गए हैं।

 

आयोग के अध्यक्ष ने कहा है कि इस प्रकरण में पुलिस की शुरुआती जांच बेहद लापरवाही भरी रही है, जिससे पूरा मामला प्रभावित हुआ। 20 सितंबर 2025 को जब एफआईआर दर्ज हुई, तब पुलिस ने इसे अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 की धाराओं के तहत दर्ज ही नहीं किया। यह कदम तभी उठाया गया जब मामला हाईकोर्ट के संज्ञान में आया। उन्होंने बताया कि शिकायत में पीड़ित परिवार ने स्पष्ट लिखा था कि बच्चे को ‘अछूत’ कहकर घर से बाहर निकाला गया और घर की शुद्धि के लिए बकरे की मांग की गई, लेकिन पुलिस ने इस गंभीर पक्ष को नजरअंदाज कर दिया।

 

अध्यक्ष ने बताया कि बीते 1 अक्टूबर को आयोग ने एसडीपीओ रोहड़ू से तीन दिनों के भीतर रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन समयसीमा बीत जाने के बाद भी रिपोर्ट नहीं दी गई। आयोग को 14 अक्टूबर को ही डीजीपी कार्यालय से यह रिपोर्ट प्राप्त हुई। इस देरी और लापरवाही पर आयोग ने कड़ा एतराज जताया और एसडीपीओ रोहड़ू से स्पष्टीकरण तलब करने का निर्णय लिया है।

 

उन्होंने कहा कि यह मामला पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है, इसलिए आयोग निष्पक्ष और तीव्र जांच सुनिश्चित करने के लिए लगातार निगरानी कर रहा है।

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