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हिमाचल में 22 जगह भूस्खलन की निगरानी, मानसून सीजन में अब तक 135 मौतें

Himgiri Samachar:
शिमला, 22 जुलाई। हिमाचल प्रदेश में लगातार हो रही मानसूनी बारिश से तबाही का सिलसिला थम नहीं रहा है। इसी बीच राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र (1070) ने मंगलवार को भूस्खलन संभावित क्षेत्रों की ताज़ा रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश के 22 संवेदनशील स्थानों में से 15 जगहों पर खतरा ‘लो’ यानी कम स्तर पर है, 5 जगहों पर मध्यम स्तर का खतरा दर्ज हुआ है, जबकि 2 जगहों पर किसी प्रकार का खतरा नहीं पाया गया है।


मंडी में सबसे ज्यादा निगरानी, ज्यादातर जगह खतरा कम

मंडी जिले के 16 स्थानों पर लगातार निगरानी की जा रही है। इनमें पराशर, कोटरोपी, घोड़ा फार्म-शलगी नॉर्थ कैंपस, घोड़ा फार्म-2, ग्रिफॉन पीक-1 से ग्रिफॉन पीक-6 तक, ग्रिफॉन पीक-8 से ग्रिफॉन पीक-10 तक और विश्‍वकर्मा मंदिर शामिल हैं, जहां पर ‘लो’ खतरा दर्ज किया गया है। वहीं मंडी के सानार्ली-2, तत्तापानी और संधोल में ‘मॉडरेट’ यानी मध्यम खतरे की चेतावनी जारी की गई है।


शिमला और सोलन में भी निगरानी


शिमला जिले के जतोग क्षेत्र में मध्यम खतरा पाया गया है। सोलन जिले के डगशाई में भी मध्यम खतरे की रिपोर्ट है, जबकि डक्षी में कोई खतरा नहीं दर्ज हुआ है।


कांगड़ा में दो स्थान सुरक्षित


कांगड़ा जिले के बालदून नूरपुर में खतरे का कोई अंदेशा नहीं है, जबकि कॉलोनी कांगड़ा और धर्मशाला में कम खतरे की रिपोर्ट है।


विशेष निगरानी और सिस्टम की स्थिति


मंडी के विश्‍वकर्मा मंदिर में निगरानी के लिए सिस्टम मौजूद नहीं है, लेकिन मौसम के पूर्वानुमानों के आधार पर ‘लो’ खतरे की चेतावनी दी गई है। बाकी लगभग सभी स्थानों पर भूस्खलन निगरानी सिस्टम सक्रिय हैं और लगातार डाटा जुटा रहे हैं।


अगले दिनों भी बारिश का दौर जारी


मौसम विभाग ने 23 से 25 जुलाई तक भी बारिश का सिलसिला बने रहने की संभावना जताई है, हालांकि इस दौरान कोई चेतावनी जारी नहीं की गई है। इसके बाद 26 से 28 जुलाई तक फिर से भारी बारिश हो सकती है और कुछ इलाकों में येलो अलर्ट रहेगा। बीते 24 घंटों में ऊना के अंब में सर्वाधिक 94 मिमी, बिलासपुर के भराड़ी में 67 मिमी, बरठीं में 58 मिमी, सलापड़ में 51 मिमी, हमीरपुर के नादौन और मंडी के जोगिंदरनगर में 48-48 मिमी बारिश दर्ज की गई है।


मानसून सीजन में अब तक 135 की मौत, 34 लापता


इस मानसून सीजन में अब तक हिमाचल में 135 लोगों की मौत हो चुकी है, 224 लोग घायल और 34 लोग लापता हैं। मंडी जिले में सबसे ज्यादा 23 और कांगड़ा में 21 मौतें हुई हैं। अब तक 397 मकान, 277 दुकानें और 1037 गौशालाएं पूरी तरह तबाह हो चुकी हैं, जबकि 797 मकानों को आंशिक नुकसान हुआ है। करीब 1247 करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान आंका गया है। मंडी में सबसे ज्यादा तबाही हुई है, जहां 936 घरों को नुकसान पहुंचा है, जिनमें से 365 पूरी तरह ध्वस्त हो गए हैं।


भूस्खलन, फ्लैश फ्लड और बादल फटने की घटनाएं बढ़ीं


प्रदेश में इस सीजन में अब तक 25 भूस्खलन, 40 फ्लैश फ्लड और 23 बादल फटने की घटनाएं दर्ज की गई हैं। अकेले मंडी में बादल फटने की 15, फ्लैश फ्लड की 11 और भूस्खलन की 4 घटनाएं हुई हैं।

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