शिमला, 14 मई। हिमाचल प्रदेश सरकार ने सरकारी विभागों में अनुबंध आधार पर नियुक्तियों की पुरानी व्यवस्था को पूरी तरह समाप्त कर दिया है। अब प्रदेश में सभी भर्तियां "प्रशिक्षु" (ट्रेनी) के तौर पर की जाएंगी और तय प्रशिक्षण अवधि पूरी करने के बाद ही नियमित नियुक्ति की जाएगी। इस संबंध में राज्य सरकार के कार्मिक विभाग ने बुधवार को अधिसूचना जारी कर दी है। यह नई व्यवस्था न सिर्फ आने वाली भर्तियों पर लागू होगी बल्कि उन चयनित अभ्यर्थियों पर भी प्रभावी होगी जिनकी नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हो चुकी है लेकिन नियुक्ति पत्र जारी नहीं हुए हैं।
नई भर्ती प्रणाली के तहत अब सभी नियुक्तियों में चयनित अभ्यर्थियों को प्रशिक्षु के रूप में नियुक्त किया जाएगा। प्रशिक्षु को नियुक्ति के समय एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करने होंगे। प्रशिक्षण अवधि के दौरान उन्हें संबंधित पद के वेतनमान की प्रथम श्रेणी के 60 प्रतिशत के बराबर मासिक मानदेय मिलेगा। लेकिन इस दौरान उन्हें नियमित कर्मचारियों जैसी सुविधाएं या सेवाएं नहीं मिलेंगी।
कार्मिक विभाग की गाइडलाइन के अनुसार प्रशिक्षु की सेवा पूर्णत: अनुबंधित रहेगी और उसका मूल्यांकन प्रदर्शन के आधार पर होगा। यदि प्रशिक्षु का कार्य संतोषजनक नहीं पाया जाता है तो उसकी सेवाएं समाप्त की जा सकती हैं। हालांकि सेवाएं समाप्त किए जाने पर प्रशिक्षु को 45 दिनों के भीतर उच्च अधिकारी के समक्ष अपील करने का अधिकार भी मिलेगा।
नई व्यवस्था में अवकाश के नियम भी तय कर दिए गए हैं। प्रशिक्षु को एक माह की सेवा के बाद एक दिन का आकस्मिक अवकाश, साल में 10 दिन का चिकित्सा अवकाश और 5 दिन का विशेष अवकाश मिलेगा। महिला प्रशिक्षुओं को दो से कम जीवित संतान होने की स्थिति में 180 दिन का मातृत्व अवकाश मिलेगा। गर्भपात या अन्य चिकित्सकीय कारणों से 45 दिन का मातृत्व अवकाश एक बार ही अनुमन्य होगा।
प्रशिक्षु को चिकित्सा प्रतिपूर्ति, एलटीसी, पेंशन, जीपीएफ और अन्य सेवा लाभ नहीं मिलेंगे। छुट्टियों का वार्षिक कैरी फॉरवर्ड भी मान्य नहीं होगा। यदि कोई प्रशिक्षु बिना अनुमति ड्यूटी से अनुपस्थित रहता है तो उसकी सेवा स्वत: समाप्त मानी जाएगी। हालांकि, मेडिकल आधार पर अनुपस्थिति को सूचना देने की स्थिति में मान्य किया जा सकता है, लेकिन उस अवधि के लिए वेतन नहीं मिलेगा।
सरकार ने यह भी निर्देश दिए हैं कि राजपत्रित पदों पर नियुक्त प्रशिक्षुओं को मेडिकल बोर्ड से जारी फिटनेस प्रमाण पत्र देना अनिवार्य होगा जबकि गैर-राजपत्रित पदों के लिए सरकारी चिकित्सा अधिकारी का प्रमाण पत्र पर्याप्त होगा। साथ ही यदि कोई महिला प्रशिक्षु 12 सप्ताह या उससे अधिक की गर्भवती पाई जाती है और उसका कार्य जोखिम भरा है तो उसे अस्थायी रूप से नियुक्ति से रोका जाएगा और डिलीवरी के बाद पुनः फिटनेस जांच के आधार पर प्रशिक्षण में शामिल किया जाएगा।
प्रशिक्षण के दौरान किसी भी दौरे पर जाने की स्थिति में प्रशिक्षु को टीए/डीए मिलेगा, लेकिन अन्य सेवा नियमों जैसे एफआरएसआर, पेंशन नियम, बीमा योजना, ईपीएफ आदि का लाभ नहीं मिलेगा।
सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि 20 फरवरी 2025 के बाद जिन नियुक्तियों के लिए अनुबंध आधार पर प्रस्ताव भेजे गए थे या जिन पदों की प्रक्रिया चयन एजेंसियों द्वारा जारी है, वे सभी इस नई गाइडलाइन के अंतर्गत आएंगे। यह निर्णय हाल ही में लागू किए गए हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारियों की भर्ती एवं सेवा की शर्तें अधिनियम 2024 के तहत लिया गया है जो 20 फरवरी 2025 से प्रभावी हुआ है। इस अधिनियम के कुछ प्रावधानों को 12 दिसंबर 2003 से लागू माना गया है