शिमला, 15 जुलाई। हिमाचल प्रदेश में मानसून की बारिश लगातार आफत बनकर बरस रही है। राज्य के ज्यादातर हिस्सों में मंगलवार को भी बारिश होती रही। राजधानी शिमला में दोपहर बाद हुई बारिश से मौसम हल्का ठंडा हुआ। मौसम विभाग ने 21 जुलाई तक कुछ स्थानों पर भारी वर्षा की चेतावनी दी है। 16 जुलाई को चम्बा, कांगड़ा, मंडी और सिरमौर जिलों में भारी वर्षा का येलो अलर्ट जारी हुआ है। 17 जुलाई को लाहौल-स्पीति, किन्नौर और चम्बा को छोड़कर बाकी 9 जिलों में भी भारी बारिश का अलर्ट रहेगा। 18 जुलाई को ऊना, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी और शिमला जिलों में येलो अलर्ट जारी किया गया है और 19 जुलाई को कुल्लू और मंडी में भी यही चेतावनी है।
इसी के साथ राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र की रिपोर्ट ने बताया है कि हिमाचल के 22 स्थानों पर भूस्खलन का खतरा बना हुआ है। इनमें मंडी जिले के 15, कांगड़ा के 4, शिमला के 2 और सोलन जिले में एक स्थान शामिल है। सोलन के डक्शी क्षेत्र में ‘बहुत अधिक’ खतरे का अलर्ट जारी है, मंडी के सनारली-2 और कांगड़ा के बलदुन नूरपुर में ‘उच्च’ खतरा बताया गया है। बाकी स्थानों पर ‘मध्यम’ और कुछ जगहों पर ‘निम्न’ खतरे का स्तर दर्ज है। सभी इलाकों पर लगातार निगरानी की जा रही है ताकि किसी भी आपात स्थिति में फौरन कदम उठाए जा सकें।
बीते 24 घंटों में सबसे ज्यादा बारिश शिमला के जुब्बड़हट्टी में 60 मिमी रिकॉर्ड की गई। बिलासपुर के घुमारवीं, काहू, बिलासपुर सदर, शिमला के सुन्नीभाजी और सोलन के कसौली में भी 30-30 मिमी बारिश हुई है। बारिश और भूस्खलन से पूरे प्रदेश में यातायात, बिजली और पानी की सप्लाई पर बड़ा असर पड़ा है। मंगलवार शाम तक 199 सड़कें बंद पड़ी हैं, 68 बिजली ट्रांसफार्मर बंद हो गए हैं और 171 पेयजल योजनाएं ठप हो गई हैं। सबसे ज्यादा नुकसान मंडी जिले में हुआ है, जहां 141 सड़कें बंद, 61 ट्रांसफार्मर और 142 पेयजल योजनाएं प्रभावित हुई हैं। कांगड़ा में 18 और सिरमौर में 11 पेयजल योजनाएं भी काम नहीं कर पा रही हैं।
आपातकालीन परिचालन केंद्र की रिपोर्ट के मुताबिक मानसून के इस दौर में अब तक प्रदेश को करीब 786 करोड़ की संपत्ति का नुकसान हो चुका है। पिछले 25 दिनों में बारिश से जुड़े हादसों में 105 लोगों की मौत हो चुकी है, 35 लापता हैं और 184 घायल हुए हैं। मौतों के मामले में मंडी जिला सबसे ज्यादा प्रभावित है, जहां 21 की जान गई है। कांगड़ा में 17, कुल्लू में 11, चम्बा में 9 और हमीरपुर, बिलासपुर व ऊना जिलों में 8-8 लोगों की मौत हुई है। राज्य में अब तक 1046 घर आंशिक या पूरी तरह टूट चुके हैं, 188 दुकानें और 798 गौशालाएं तबाह हो चुकी हैं। अकेले मंडी जिले में ही 856 घर, 166 दुकानें और 644 गौशालाएं प्रभावित हुई हैं। 30 जून की रात मंडी में बादल फटने की 12 घटनाओं ने भारी तबाही मचाई थी।
भारी बारिश से कृषि और पशुपालन को भी बड़ा नुकसान हुआ है। अब तक 21,500 पोल्ट्री के पक्षी और 954 अन्य पशु मारे गए हैं। मानसून में अब तक बादल फटने की 22, अचानक आई बाढ़ की 31 और भूस्खलन की 18 घटनाएं रिकॉर्ड की गई हैं। मंडी के अलावा कांगड़ा और कुल्लू जिलों में भी बाढ़ से भारी नुकसान हुआ है। सरकार के मुताबिक सबसे ज्यादा नुकसान जल शक्ति विभाग को हुआ है, जिसकी करीब 414 करोड़ की संपत्ति प्रभावित हुई है। लोक निर्माण विभाग को भी लगभग 345 करोड़ का नुकसान हुआ है।