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हिमाचल विधानसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित

Himgiri Samachar:

शिमला, 25 सितंबर। हिमाचल प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार को अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित कर दिया गया। सत्र के अंतिम दिन विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने अपने सत्रावसान भाषण में कहा कि मानसून सत्र की कुल सात बैठकें हुईं और 36 घंटे 38 मिनट सदन की कार्यवाही चली। उन्होंने कहा कि सत्र के दौरान सदन की उत्पादकता 106 फीसदी रही।

 

 

 

पठानिया ने कहा कि मानसून सत्र के दौरान कुल 369 तारांकित और 176 अतारांकित प्रश्न पूछे गए। इसके अलावा नियम-61 के तहत आठ, नियम-62 के तहत पांच और नियम-130 में तीन विषयों पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि सत्र के दौरान एक दिन गैरसरकारी दिवस में सदस्यों ने नियम-101 के तहत तीन गैरसरकारी संकल्प प्रस्तुत किए गए। इनमें एक संकल्प पिछले बजट सत्र का था, जबकि एक संकल्प का उत्तर अगले सत्र में होगा।

 

विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि नियम-102 के तहत मानसून से हुए नुकसान को राष्ट्रीय आपदा मानते हुए 12 हजार करोड़ के पैकेज संबंधी सरकारी संकल्प सार्थक चर्चा के बाद पारित किया गया। इस संकल्प पर तीन दिन तक चर्चा चली, जिसमें सतापक्ष के 27, विपक्ष के 21 और तीन निर्दलीय सदस्यों ने हिस्सा लिया। इस संकल्प पर 15 घंटे 30 मिनट तक चर्चा चली।

 

 

 

कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि मानसून सत्र के दौरान आठ विधेयकों को पुनरस्थापित व पारित किया गया, जबकि एक विधेयक संशोधित रूप से पारित हुआ। सत्र में सदन के नेता व मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पांच घंटे जबकि नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर दो घंटे 48 मिनट तक बोले। विधानसभा अध्यक्ष ने सदन के सुचारू संचालन के लिए मुख्यमंुत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर का आभार जताया।

 

 

 

सत्र के समापन के दौरान सतापक्ष और विपक्ष तल्ख नजर आए। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने नाचन के भाजपा विधायक के खिलाफ दर्ज मामले को खत्म करने की मांग की और कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो ये पंरपरा बन जाएगी और विधायकों के खिलाफ मामले दर्ज होते रहेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा ने प्रदेश के ज्वलंत मुददों को लेकर आज विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया है और उम्मीद है कि सरकार इन मुद्दों पर विचार करेगी। जयराम ठाकुर ने प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर सरकार द्वारा लाए गए श्वेतपत्र पर भी हैरानी जताई और कहा कि श्वेतपत्र में कई ऐसे मुददे डाले गए हैं, जो सिर्फ केंद्र सरकार के नियंत्रण में हैं। उन्होंन यह भी कहा कि सत्र के दौरान कई सवालों के जवाब संतोषजनक नहीं थे।

 

 

 

उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने 15वें वित्त आयोग के समक्ष अपना पक्ष सही तरीके से नहीं रखा है, जिससे प्रदेश को केंद्र से मिलने वाली मदद में काफी कमी आई। उन्होंने कहा कि केंद्र ने हिमाचल की कर्ज लेने की सीमा घटाई है और जीएसटी के तह मिलने वाला मुआवजा भी बंद किया है जिससे प्रदेश की माली हालत और बिगड़ी है। उन्होंने प्रदेश में आई आपदा को लेकर पारित संकल्प के दौरान विपक्ष के खामोश रहने पर भी हैरानी जताई। उन्होंने कहा कि भाजपा अब इस संकल्प के माध्यम से केंद से मांगी गई 12 हजार करोड़ की मदद को दिलाकर अपनी गलतियों को सुधार सकती है।

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