नई दिल्ली, 10 अक्टूबर। केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को घुसपैठ को बड़ा संकट बताते हुए केंद्र सरकार की सख्त नीति को दोहराया। गृह मंत्री ने चुनाव आयोग की मतदाता की पहचान के लिए चलाई गई एसआईआर प्रक्रिया का समर्थन किया और कांग्रेस का इसके खिलाफ सड़कों पर विरोध को गलत बताया। उन्होंने कहा कि देश की संस्कृति और पहचान की रक्षा के लिए डिटेक्ट, डिलिट और डिपोर्ट के सिद्धांत पर चल रही है।
अमित शाह ने आज एक समाचार पत्र से जुड़े कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने ‘नरेन्द्र मोहन स्मृति व्याख्यान’ और ‘साहित्य सृजन सम्मान’ समारोह को संबोधित किया और घुसपैठ के विषय पर अपने विचार रखे। गृह मंत्री ने स्पष्ट किया कि धार्मिक प्रताड़ना से भागकर आने वाले शरणार्थियों और आर्थिक कारणों से अवैध प्रवेश करने वाले घुसपैठियों में फर्क है। शाह ने कहा कि भारत धर्मशाला नहीं बन सकता, लेकिन जितना मेरा अधिकार इस देश की मिट्टी पर है, उतना ही पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिंदुओं का भी है।
शाह ने कहा कि उनका व्यक्तिगत तौर पर मानना है कि देश को धर्म के आधार पर बांटना ग़लत था। अंग्रेजों को खुश करने के लिए भारत माता की दोनों भुजाएं काट दी गईं। धर्म और राष्ट्रीयता अलग-अलग होनी चाहिए। इसी वजह से आज हम समस्याओं का सामना कर रहे हैं। अगर नेहरू-लियाक़त समझौते का सम्मान किया जाता तो घुसपैठ कोई मुद्दा नहीं होता। उन्होंने कहा कि भाजपा पहचानो, हटाओ और निर्वासित करो (डिटेक्ट, डिलिट और डिपोर्ट) के सिद्धांत पर चल रही है। यह देश की संस्कृति और पहचान की रक्षा के लिए है। भारत में करोड़ों मुसलमान, ईसाई हैं। वे वोट देते हैं और उनका यहाँ स्वागत है। केवल भारतीयों को ही वोट देने का अधिकार होना चाहिए।
गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस वर्ष 15 अगस्त को लाल किले से देश के लिए एक हाई-पावर्ड डेमोग्राफिक मिशन की घोषणा की। यह मिशन अवैध प्रवासन के रुझानों, उसके धार्मिक और सामाजिक जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों, जनसंख्या में हो रहे असंतुलन और असामान्य बसावट के पैटर्न का गहन अध्ययन करेगा। इसके साथ ही यह सीमा प्रबंधन पर इन परिवर्तनों के असर का भी मूल्यांकन करेगा। उन्होंने कहा कि इस पहल को लेकर विवाद उठना स्वाभाविक है, लेकिन यदि विवाद से बचने और देश, लोकतंत्र तथा संस्कृति को बचाने के बीच चुनाव करना पड़े, तो भारतीय जनता पार्टी हमेशा देश को प्राथमिकता देगी। चाहे इसके लिए किसी भी स्तर के विरोध या आलोचना का सामना क्यों न करना पड़े।
उन्होंने कहा कि यह मिशन राष्ट्र की स्थिरता और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा की दिशा में एक निर्णायक कदम है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक दलों ने वोट बैंक के लिए घुसपैठ को प्रोत्साहन दिया, जबकि भाजपा सरकार देश की सुरक्षा और जनसांख्यिकीय संतुलन की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। इसी संदर्भ में शाह ने एसआईआर प्रक्रिया का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुसार मतदान का अधिकार 18 वर्ष से अधिक आयु के भारतीय नागरिक को ही है। चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है कि वे मतदाता की पहचान करे। कांग्रेस और अन्य पार्टियां इसका विरोध कर रही है, क्योंकि उन्हें अपना वोट बैंक कम होने का डर है।
गृह मंत्री ने जनगणना के आंकड़ों का उल्लेख करते हुए कहा कि 1951 में हिंदू आबादी 84 प्रतिशत थी, जो 2011 में घटकर 79 प्रतिशत रह गई, जबकि मुस्लिम आबादी 9.8 प्रतिशत से बढ़कर 14.2 प्रतिशत हो गई। उन्होंने कहा कि यह वृद्धि केवल प्राकृतिक नहीं, बल्कि बड़े पैमाने पर हुई घुसपैठ का परिणाम है। पाकिस्तान और बांग्लादेश की हिंदू आबादी में भारी गिरावट आई, क्योंकि धार्मिक उत्पीड़न के कारण वहां के हिंदू शरणार्थी बनकर भारत आ गए। शाह ने कहा कि भारत के नेताओं ने स्वतंत्रता के बाद पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का वादा किया था, पर कांग्रेस सरकारों ने उसे पूरा नहीं किया।
उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोहन जी ने पत्रकारिता की स्वतंत्रता को सर्वोच्च माना और आपातकाल के समय लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष किया, जिसके कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा। शाह ने कहा कि यह वही पत्रकारिता थी, जिसने सत्य के पक्ष में खड़े होकर देश की लोकतांत्रिक आत्मा को बचाए रखा।