शिमला, 16 अगस्त। हिमाचल प्रदेश में मानसून लगातार कहर बरपा रहा है। येलो अलर्ट के बीच राज्य के विभिन्न हिस्सों में शुक्रवार बीती रात हुई भारी बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। शिमला से सटे सुन्नी क्षेत्र में सतलुज नदी के उफान पर आने से बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। यहां आईटीआई, फॉरेस्ट रेस्ट हाउस और सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तक पानी घुस गया है। सुन्नी पुल पर प्रशासन ने आवाजाही पूरी तरह बंद कर दी है और आसपास के लोगों को नदी से दूर रहने की सख्त हिदायत दी गई है। कांगड़ा जिले में पौंग बांध से छोड़े गए पानी ने हालात और गंभीर कर दिए हैं। मंड भोग्रवां गांव में अचानक व्यास नदी का जलस्तर बढ़ने से कई एकड़ भूमि पानी में समा गई और एक बहुमंजिला मकान का एक हिस्सा चंद सेकेंडों में नदी की धारा में समा गया। प्रशासन ने समय रहते घर खाली करवा लिया था, जिससे बड़ा हादसा टल गया।
मौसम विभाग के अनुसार 19 अगस्त तक राज्य में भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी है। शनिवार काे ऊना, चंबा, कांगड़ा, शिमला और सिरमौर जिलों में भारी बारिश की आशंका है, जबकि 22 अगस्त तक मौसम खराब रहने की संभावना जताई गई है। हालांकि 20 से 22 अगस्त तक किसी तरह का अलर्ट जारी नहीं किया गया है। बीती रात बिलासपुर जिला के नैना देवी में सबसे अधिक 160 मिलीमीटर बारिश दर्ज हुई। इसके अलावा कांगड़ा के पालमपुर में 101, पंडोह में 72, मंडी में 62, कोठी में 48 और मलरान में 35 मिलीमीटर बारिश रिकार्ड की गई।
भारी वर्षा से भूस्खलन की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं और सड़क, बिजली व पेयजल आपूर्ति बुरी तरह प्रभावित हो रही है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार शनिवार सुबह तक प्रदेश में दो नेशनल हाइवे और 374 सड़कें बाधित थीं। इनमें अकेले मंडी जिले की 203 सड़कें शामिल हैं। कुल्लू में 79, कांगड़ा में 25, चंबा में 20 और सिरमौर में 17 सड़कें प्रभावित हुई हैं। कुल्लू जिले में नेशनल हाइवे 305 जहेड खनग के पास बंद है, जबकि किन्नौर में एनएच-5 बाधित है। इसके साथ ही चंडीगढ़-मनाली नेशनल हाइवे पर मंडी से पनारसा तक कई स्थानों पर भूस्खलन से यातायात पर असर पड़ रहा है।
प्रदेश में बिजली व पेयजल आपूर्ति भी बुरी तरह प्रभावित हुई है। 524 बिजली ट्रांसफार्मर बंद पड़े हैं, जिनमें से मंडी में 458, कुल्लू में 27 और किन्नौर में 24 ट्रांसफार्मर शामिल हैं। इसी तरह 145 पेयजल योजनाएं ठप हैं। इनमें मंडी की 44, कांगड़ा की 41, चंबा की 24 और हमीरपुर की 21 योजनाएं शामिल हैं।
आपातकालीन परिचालन केंद्र की दैनिक रिपोर्ट के मुताबिक इस मानसून सीजन में अब तक 257 लोगों की जान जा चुकी है, 37 लोग लापता हैं और 331 घायल हुए हैं। मृतकों में सबसे अधिक 47 मंडी जिले से हैं। कांगड़ा में 40, चंबा में 30, शिमला में 25, कुल्लू में 22, किन्नौर में 21, हमीरपुर और सोलन में 16-16, ऊना में 14, बिलासपुर में 10, सिरमौर में 9 और लाहौल-स्पीति में 7 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। अब तक 2,367 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं, जिनमें 563 पूरी तरह ढह गए। इसके अलावा 359 दुकानें और 2,157 पशुशालाएं भी नष्ट हो चुकी हैं। अकेले मंडी जिले में 1,255 घरों को नुकसान पहुंचा है, जिनमें से 430 पूरी तरह ध्वस्त हुए हैं।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार अब तक 2,144 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है। इसमें सबसे ज्यादा 1,188 करोड़ रुपये की हानि लोक निर्माण विभाग को हुई है, जबकि जलशक्ति विभाग को 697 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। अब तक प्रदेश में 61 भूस्खलन, 72 बाढ़ और 34 बादल फटने की घटनाएं दर्ज की जा चुकी हैं।