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भारत के जन और पर्यावरण की सेवा ही भारत माता का वास्तविक पूजन : मोहन भागवत

Himgiri Samachar:

ओंकारेश्वर, 05 जनवरी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने ओंकारेश्वर में आयोजित तीन दिवसीय कुटुंब प्रबोधन गतिविधि की अखिल भारतीय बैठक के अंतिम दिन रविवार को भारत माता पूजन के महत्व और उद्देश्य को प्रतिपादित करते हुए कहा कि भारत भूमि हमारा पालन-पोषण, संरक्षण और संवर्धन करती है। भारत भूमि में जन्म लेने वाले प्रत्येक जन में सेवा का स्वाभाविक संस्कार है। भारत माता का पूजन मतलब भारत में रहने वाले जन, जमीन, जंगल, जल और जानवरों की सेवा और सुरक्षा करना है। पर्यावरण, जैव विविधता का संरक्षण और संवर्धन भारत माता पूजन से मिलने वाली प्रेरणा है।

 

कुटुंब प्रबोधन गतिविधि की अखिल भारतीय बैठक के अंतिम दिन का प्रारंभ रविवार को सुबह ओंकारेश्वर स्थित नर्मदा किनारे मार्कण्डेय आश्रम पर भारत माता पूजन से हुआ। सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने भारत माता और आदि शंकाराचार्य का पूजन किया। पवित्र नर्मदा किनारे मार्कण्डेय आश्रम में नर्मदा आरती के पश्चात भारत माता पूजन में सरसंघचालक डॉ. भागवत ने एकांत में अध्यात्म साधना और लोकान्त में समाज सेवा का आह्वान किया। उन्होंने गृहस्थ आश्रम को धर्म की धुरी बताते हुए कहा कि जो जिस भी स्थित में है, उसे समाज की सेवा के लिये तत्पर रहना चाहिए। जिस प्रकार गरुड़ ने माता की सेवा से देवता का वाहन बनने का आशीर्वाद पाया, उसी प्रकार हम भी भारत माता की सेवा के आशीर्वाद से धर्म के वाहक बनने में समर्थ हों।

 

कुटुंब प्रबोधन गतिविधि की अखिल भारतीय बैठक में समर्थ कुटुंब व्यवस्था को लेकर विभिन्न प्रकार के विषयों पर चर्चा की गई, जिसके अंतर्गत बताया गया कि सृष्टि की सबसे अनुपम रचनाओं में एक भारतीय परिवार की रचना है। भारतीय परिवारों को सुदृढ़ करने के लिए विभिन्न प्रकार के कार्य कुटुंब प्रबोधन गतिविधि द्वारा किए जाते हैं। कुटुंब मित्रों का परिवारों में आना जाना, परिवारों से सकारात्मक चर्चा करना, ऐसे कई अलग-अलग क्रियाकलापों द्वारा कुटुंब व्यवस्था को मजबूती प्रदान करने का काम किया जाता है।

 

कुटुंब प्रबोधन गतिविधि द्वारा परिवार को मजबूत बनाए रखने के लिये छह प्रकार के “भ” पर काम करने के लिए बताया गया कि भोजन, भजन, भाषा, भूषा, भ्रमण और भवन, इन सभी बातों को लेकर प्रत्येक परिवार को काम करना होगा। साथ ही साथ वर्तमान समय में बच्चों में जो विकृति दिखाई देती है, उसका सबसे बड़ा कारण मोबाइल का बड़ी मात्रा में उपयोग ध्यान में आता है। इसके लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने परिवार में आपसी संवाद बढ़ाने की आवश्यकता है, जिससे घर के बच्चे अपने मन की बात बोल सकेंगे और निश्चित ही परिवार के वातावरण में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलेंगे।

 

कुटुंब प्रबोधन गतिविधि का कार्य में देशभर में मातृशक्ति समान रूप से करती है। देश की कई प्रांतों में महिलाओं द्वारा बड़े स्तर पर अनेक प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। साथ ही आने वाले समय में मातृशक्ति की सहभागिता को बढ़ाने के लिए भी आह्वान किया गया। मार्कण्डेय आश्रम में भारत माता पूजन के पश्चात सरसंघचालक ने कहा कि यह पूरा विश्व एक देह है और उसकी आत्मा हमारा भारत देश है।

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