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किसानों पर बिजली बिलों का बोझ डाल रही सुक्खू सरकार: जयराम ठाकुर

Himgiri Samachar:

शिमला, 11 मई। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सुक्खू सरकार पर किसानों के साथ अन्याय करने और जनता पर लगातार शुल्कों का बोझ डालने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि व्यवस्था परिवर्तन का वादा कर सत्ता में आई कांग्रेस सरकार अब शुल्क सरकार बन चुकी है और लोगों को हर मोर्चे पर झटके दे रही है।

 

जयराम ठाकुर ने रविवार को एक बयान में कहा कि किसानों के खेतों की सिंचाई के लिए इस्तेमाल की जाने वाली बिजली पर प्रदेश सरकार ने पांच से छह गुना तक शुल्क बढ़ा दिया है, जो गरीब किसानों के साथ खुला अन्याय है। उन्होंने आरोप लगाया कि जो सरकार किसान हितैषी होने का दावा करती है, वह उन्हीं किसानों की कमर बिजली के बिल बढ़ाकर तोड़ रही है।

 

उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश से उन्हें किसानों की शिकायतें मिल रही हैं कि पहले के मुकाबले उनका बिजली बिल कई गुना ज्यादा आ रहा है। ठाकुर ने ऊना जिले के एक किसान का उदाहरण देते हुए बताया कि मार्च से अप्रैल के बीच उस किसान ने सिंचाई के लिए 605 यूनिट बिजली खर्च की, जिसका बिल 669 रुपये आया था, लेकिन मई में 591 यूनिट खर्च करने पर उसी किसान को 3445 रुपये का बिल थमा दिया गया।

 

नेता प्रतिपक्ष ने सवाल उठाया कि क्या यही है कांग्रेस का किसान प्रेम? देशभर में कांग्रेस किसानों के नाम पर राजनीति करती है, लेकिन हिमाचल में वही पार्टी किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ा रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री से पूछा कि क्या सिर्फ भाषणों और वादों में ही किसानों का हित सुरक्षित रह गया है?

 

जयराम ठाकुर ने सरकार से अपील की है कि वह इस फैसले पर पुनर्विचार करे और किसानों को राहत प्रदान करे। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने समय रहते कदम नहीं उठाया तो किसान आवाज़ उठाने को मजबूर होंगे।

 

इसके साथ ही जयराम ठाकुर ने सरकार पर अन्य क्षेत्रों में भी जनविरोधी फैसले लेने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार एक कल्याणकारी राज्य के रूप में काम करने में विफल रही है। एक तरफ बसों का न्यूनतम किराया पांच से दस रुपये कर दिया गया, वहीं लंबी दूरी की बसों का किराया भी 15 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया। आउटसोर्स कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जा रहा है, बेरोजगारों की आवाज़ को दबाया जा रहा है और कर्मचारियों को डराया जा रहा है।

 

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि हिम केयर योजना के लाभ सीमित किए जा रहे हैं और शगुन, सहारा, स्वावलंबन जैसी जनकल्याणकारी योजनाएं बंद की जा चुकी हैं।

 

जयराम ठाकुर ने सरकार से आग्रह किया कि वह जनता की समस्याओं को समझे और शुल्क थोपने की बजाय मानवीय दृष्टिकोण से निर्णय ले।

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