शिमला, 30 सितंबर। हिमाचल प्रदेश में स्ट्रीट वेंडर पॉलिसी और दुकानों में नेम प्लेट के विवाद को लेकर कांग्रेस हाईकमान से मिलकर शिमला लौटे लोकनिर्माण व शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने साफ किया है कि कांग्रेस पार्टी की विचाराधारा उनके लिए सर्वोपरि है, लेकिन हिमाचल प्रदेश 70 लाख लोगों के हित भी उनके लिए उतने ही जरुरी है। उन्होंने कहा है कि प्रदेश के मुद्दों को लेकर कोई समझौता नहीं होगा और प्रदेश की आंतरिक सुरक्षा से खिलवाड़ किसी भी कीमत में बर्दाश्त नहीं किया जायेगा।
विक्रमादित्य सिंह ने सोमवार को पत्रकार वार्ता में कहा कि प्रदेश में बीते दिनों से अवैध निर्माण और बाहरी राज्यों से आ रहे लोगो पहचान को लेकर जो शंकाएं उठ रही थी, उसे लेकर मैंने बयान दिया था, लेकिन उसको सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई है। दिल्ली में पार्टी हाईकमान के समक्ष हिमाचल के मौजूदा हालातों को लेकर विस्तृत से चर्चा हुई है और मैं कांग्रेस पार्टी के साथ चट्टान की तरह खड़ा हूं।
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि प्रदेश के ज्वलंत मुद्दों को उठाना उनका दायित्व है और पिता वीरभद्र सिंह के नक्शे कदम पर वह चल रहे हैं। प्रदेश के मुद्दों को लेकर वह कोई समझौता नही करेंगे।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने 2014 में स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट लागू किया गया था जिस समय केंद्र में यूपीए की सरकार थी इस कानून को सुप्रीम कोर्ट ने भी सख्ती से लागू करने को कहा है। हिमाचल उच्च न्यायालय ने भी इस एक्ट को लागू करने की हामी भरी है। विधानसभा अध्यक्ष ने स्ट्रीट वेंडर पॉलिसी के लिए एक कमेटी बनाई है जिसकी तीन अक्टूबर को बैठक में होगी और सभी पहलुओं पर चर्चा की जाएगी।
उन्होंने कहा कि हिमाचल में व्यापार करने के लिए आने वाले लोगों का स्वागत लेकिन राज्य की आंतरिक सुरक्षा से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं होगा।
विक्रमादित्य सिंह ने मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) संजय अवस्थी के उन पर दिए गए बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मेरी जवाबदेही पार्टी हाई कमान, मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के प्रति है बाकी किसी असंवैधानिक या संवैधानिक सीपीएस के प्रति नहीं है इसलिए वे क्या कहते हैं, इसका उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है।
बता दें कि विक्रमादित्य सिंह द्वारा पिछले हफ्ते यह कहने पर विवाद पैदा हो गया था कि हिमाचल प्रदेश में नई स्ट्रीट वेंडर पॉलिसी में रेहड़ी-पटरी वालों के लिए अपनी दुकानों पर पहचान पत्र दिखाना अनिवार्य होगा औऱ यह फैसला लागू कर दिया गया है। हालांकि इस पर जब विवाद बढ़ा तो राज्य सरकार ने स्पष्ट किया कि ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है।